काफी लंबे समय बाद नवजोत सिंह सिद्धू IPL के दौरान कमेंट्री के मैदान पर उतरने वाले हैं, इसकी कमेंट्री का अंदाज क्रिकेट फैंस को काफी पसंद आता है क्योंकि ये कमेंट्री के दौरान बीच-बीच में शेर और शायरी से लोगों को काफी खुश करते रहते हैं, बतौर कमेंटेटर वापसी के बाद सिद्धू ने यह बताया कि वे कमेंटेटर कैसे बनें।
सिद्धू का बड़ा बयान
दरअसल, नवजोत सिंह सिद्धू आईपीएल के 17 वें सीजन में स्टार स्पोर्ट्स पर कमेंटरी करते हुए नजर आएंगे, इन्होंने अभी हाल ही में इंडिया टूडे से बातचीत के दौरान कहा, कि कमेंट्री तो मेरे खून में है यह मेरी पहचा है। जैसे हमारे महान गुरू ने हमें पगड़ी दी है, वो हमारी पहचान होती है, सिद्धू ने आगे कहा, कि मैं बहुत ही भाग्यशाली हूं, जो मेरा शौक ही मेरा पेशा है, बहुत से लोग एसे होंगे जो मैच खेलना चांहते थे लेकिन आज डॉ हैं। कुछ लोग ऐसे भी होंगे जो क्रिकेटर बनना चाहते थे लेकिन आज विजनेस चला रहे हैं, लेकिन ऐसे बहुत ही कम लोग होंगे जिन्हें वह सब करने का मौका मिला जो उनका शौक था।
सिद्धू का संघर्ष
इसी दौरान सिद्धू ने अपनी शुरूआती अवस्था को बताते हुए कहा, कि मेरे पिता मुझे रोज सुवह साढ़े चार या पांच बजे उठा देते थे और तीन अखबार पढ़ने के लिए देते थे। एक द ट्रिब्यून इंग्लिश में, पंचाब केसरी हिंदी में और एक पंजाबी में, मुझे इन सभी अखबारों को पढ़ना होता था और इनकी हेडलाइन देनी होती थी। फिर जब मैं स्कूल से बापस आता था तो मुझे आधा घंटे हिन्दी, आधी घंटे इंग्लिश और थोड़ी देर उर्दू की खबर सुननी होती थी। जब मैं टीवी पर खबर सुनता था तो एक ही एंकर के चहरे को बार-बार देखना पड़ता था जिससे में काफी परेशान हो जाता था, लेकिन मुझ इसका महत्व अब पता चल रहा है।
संघर्ष का अब मिलता है फायदा
सिद्धू ने आगे कहा, बैसे तो कमेंट्री करान काफी दिमाग का काम है शब्दों का सोच समझकर बोलन; हालांकि, जब से मैने कमेंट्री करनी शुरू की है तभी से मुझे ज्यादा शब्दों को सोचने की जरूरत नहीं पड़ती; हालांकि, शब्द खुद व खुद मेरी जुबान पर आते रहते हैं क्योंकि मुझे अब पता चलता है कि मेरे पिता द्वारा मुझे रोज आखबार पढ़ने खबर सुनने के लिए कहा जाता था मेरे जीवन में उन सब चीजों का कितना महत्व था।