19 दिसंबर को हुए IPL ऑक्शन ने सभी फ्रेंचाइजियों ने इस कदर बोली लगाई कि, फ्रेंचाइजी के इतिहास में पहली बार दो खिलाड़ियों ने 20 करोड रुपए की राशि को पार कर दिया। इस मिनी ऑक्शन में मिचेल स्टार्क और पैट कमिंस का नाम IPL के सबसे महंगे खिलाड़ियों की लिस्ट में शुमार हो गया है। ऑक्शन के दौरान कोलकात नाइट राइडर्स ने मिचेल स्टार्क पर सर्वाधिक 24.75 करोड़ तथा सनराइजर्स हैदराबाद ने पैट कमिंस पर 20.5 करोड़ रुपए की बोली लगाकर IPL के इतिहास की सबसे महंगे खिलाड़ी खरीदने वाली टीमें भी बन गई हैं।
कुछ हद तक या ठीक है परन्तु भारत में सर्वश्रेष्ठ बॉलर होने के बावजूद, विदेशी बॉलर पर इतनी बोली लगाना। भारतीय खिलाड़ियों का अपमान होने जैसा है, इस अपमान पर आकाश चोपड़ा ने नाराजगी की जताई है।
IPL का सबसे अच्छा बॉलर कौन?
पूर्व सलामी बल्लेबाज आकाश चोपड़ा नें तिलमिलाते हुए अपने यूट्यूब चैनल पर एक वीडियो में कहा, “अगर मिचेल स्टार्क पूरे 14 मैच खेलते हैं और पूरे-पूरे 4 ओवर करते हैं तो उनकी हर गेंद की कीमत 7.60 लाख आएगी। लेकिन सवाल यह है कि, वर्तमान में दुनिया का सबसे अच्छा गेंदबाज कौन है? कौन IPL में सबसे अच्छी गेंदबाजी करता है? उनका नाम जसप्रीत बुमराह है। उन्हें 12 करोड़ मिलते हैं, जबकि स्टार्क को उनसे दोगुने रुपए मिलेंगे, यह गलत है।”
42 और 35 करोड़ हो विराट और बुमराह की बैल्यू
भारतीय खिलाड़ियों के साथ हो रहे भेदभाव पर चोपड़ा आगे कहते हैं, “यह इंडियन प्रीमियर लीग है।कैसे एक खिलाड़ी को बहुत ज्यादा रकम मिल जाती है,जबकि दूसरे के हिस्से बहुत कम पैसा आता है। अगर कल बुमराह मुंबई इंडियंस से कह दें कि, प्लीज मुझे रिलीज कर दीजिए, मैं अपना नाम ऑक्शन में देना चाहता हूं। यही बात कोहली RCB से कह दें तो उनकी कीमत बढ़ना तय है। यह कितनी होगी? अगर स्टार्क की कीमत 25 करोड़ तक जा रही है तो इस हिसाब से कोहली 42 करोड़ और बुमराह 35 करोड़ की वैल्यू रखेंगे। अगर ऐसा नहीं हो रहा है तो यह उनके साथ गलत हो रहा है।”
‘ऑक्शन पर्स का हो बंटवारा:आकाश चोपड़ा’
खिलाड़ियों के साथ न्याय का सुझाव देते हुए चोपड़ा कहते हैं कि ऑक्शन पर्स का बटवारा होना चाहिए। IPL का कोटा भारत और विदेशी खिलाड़ियों की संख्या के आधार पर फिक्स होना चाहिए। उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा, “अगर किसी टीम के पर्स में 200 करोड़ रुपए हों तो उनमें से 150 या 175 करोड़ रुपए भारतीय खिलाड़ियों की खरीदारी के लिए फिक्स हों, और बाकी रकम विदेशी खिलाड़ियों के लिए फिक्स होनी चाहिए। इससे यह होगा कि, न चाहते हुए भी जो खिलाड़ियों के साथ भेदभाव होता है, वह खत्म हो जाएगा।”