यह 5 सितारे बैडलक के मारे..टीम इंडिया में वापसी का इंतेज़ार करते-करते अब संन्यास लेने जा रहे। जी हाँ, घरेलू क्रिकेट में अपनी छाप छोड़ने वाले भारतीय क्रिकेट के 5 दिग्गज खिलाड़ियों ने रणजी ट्रॉफी के मौजूदा सीजन के ख़त्म होने के साथ ही खेल को अलविदा कहने का फैसला किया है। इन खिलाड़ियों में बंगाल के दिग्गज मनोज तिवारी, झारखंड के बल्लेबाज सौरभ तिवारी, तेज गेंदबाज वरुण आरोन, मुंबई के धवल कुलकर्णी और विदर्भ के रणजी ट्रॉफी विजेता कप्तान फैज फजल शामिल हैं। इन सभी खिलाड़ियों ने संन्यास लेने के अलग-अलग कारण बताए हैं, जिनमें IPL का कॉन्ट्रैक्ट नहीं होना और नेशनल टीम में वापसी की उम्मीद खत्म होना है। इन्हीं कारणों से यह खिलाड़ी दूसरे काम या फिर राजनीति से जुड़ना चाहते हैं।
अब ऐसे में चलिए नज़र डालते हैं इन 5 पांडवों और उनके करियर पर जो कि..अज्ञातवास में ही खत्म हो गया।
- मनोज तिवारी
• बंगाल के स्टार बल्लेबाज मनोज तिवारी ने हमेशा-हमेशा के लिए बल्ला टांग दिया।
• पॉलिटिक्स में सक्रिय मनोज तिवारी टीएमसी के विधायक होने के साथ-साथ पश्चिम बंगाल के खेल मंत्री भी हैं।
• बंगाल की तरफ से लगभग दो दशक तक खेलने वाले 38 साल तिवारी ने भारत के लिए 12 वनडे और तीन T-20 मैच खेले हैं।
• 2015 में आखिरी इंटरनेशनल मैच खेलने वाले मनोज तिवारी के नाम 12 वनडे में एक शतक, एक अर्धशतक के साथ 287 रन दर्ज हैं।
• इसके अलावा मनोज तिवारी ने 148 प्रथम श्रेणी क्रिकेट मैच में 30 शतक और 45 अर्धशतक की मदद से 10195 रन बनाए हैं। मनोज तिवारी का बेस्ट स्कोर नाबाद 303 रन रहा है। - सौरभ तिवारी
• 34 वर्षीय आक्रामक बल्लेबाज सौरभ तिवारी के संन्यास लेने से झारखंड की टीम में बड़ा शून्य पैदा हो गया है।
• विराट कोहली वाली अंडर-19 भारतीय टीम के सदस्य रहे सौरभ 17 साल तक झारखंड की टीम की तरफ से खेले।
• सौरभ तिवारी ने 115 प्रथम श्रेणी मैच में 8030 रन बनाए, जिसमें 22 शतक और 34 अर्धशतक शामिल हैं।
• IPL में धमाकेदार प्रदर्शन के बाद सीनियर भारतीय टीम में चुने गए सौरभ तिवारी ने तीन वनडे इंटरनेशनल की दो पारियों में 49 रन बनाए।
• इसके बाद उन्हें भी कभी दोबारा मौका नहीं मिला।
• संन्यास के मौके पर सौरभ तिवारी ने कहा, “मेरा मानना है कि अगर आपको राष्ट्रीय टीम या IPL में जगह नहीं मिलती है तो फिर युवा खिलाड़ियों के लिए जगह छोड़ने का यह सही समय है।” - धवल कुलकर्णी
• मुंबई के धवन कुलकर्णी को अपनी स्विंग, मूवमेंट और सटीक गेंदबाजी के लिए जाना जाता है।
• धवन कुलकर्णी घरेलू क्रिकेट के सबसे विश्वसनीय तेज गेंदबाजों में शामिल रहे हैं।
• धवन कुलकर्णी ने 17 साल तक चले अपने घरेलू करियर में कई यादगार प्रदर्शन किए।
• 35 साल के धवन कुलकर्णी ने 95 प्रथम श्रेणी मैच खेले, जिनमें 27.31 की औसत से 281 विकेट लिए।
• धवल कुलकर्णी को भी भारत से खेलने का मौका मिला था।
• 2014 में डेब्यू करने वाले धवल कुलकर्णी ने इंग्लैंड दौरे पर पहला वनडे खेला तो पहला T-20 जिम्बाब्वे में खेला। इस दौरान उन्होंने 19 वनडे तो तीन टी-20 विकेट झटके। - फैज फजल
• फैज फजल की ही कप्तानी में विदर्भ ने 2017-18 में अपना पहला रणजी ट्रॉफी खिताब जीता था और फिर अगले सीजन में इसे बखूबी डिफेंड भी किया था।
• टॉप ऑर्डर के धांसू बल्लेबाज फैज फजल डोमेस्टिक सर्किट का बड़ा नाम थे।
• 38 वर्षीय फैज फजल को भारत के लिए सिर्फ एक ही वनडे खेलने का मौका मिला।
• 2016 में जिम्बाब्वे दौरे के तीसरे वनडे में उन्होंने शानदार डेब्यू अर्धशतक जमाया था।
• सीनियर प्लेयर्स की गैरमौजूदगी में उस टीम में अधिकतर युवा खिलाड़ियों को मौका दिया गया था।
• बाद में उन्हें फिर कभी सीनियर भारतीय टीम में जगह नहीं मिली।
• 138 प्रथम श्रेणी मुकाबलों में फैज फजल ने 24 शतक और 39 अर्धशतकों की मदद से 9184 रन बनाए।
- वरुण आरोन
• भारत के सबसे तेज गेंदबाजों में से एक 35 वर्षीय वरुण आरोन लगातार चोटिल होने के कारण अपनी क्षमता के अनुरूप प्रदर्शन नहीं कर पाए।
• उनके नाम पर प्रथम श्रेणी क्रिकेट में 66 मैच में 173 विकेट शामिल हैं।
• भारत के लिए वरुण आरोन को नौ वनडे और 9 T-20 इंटरनेशनल खेलने के मौके मिले, जिसमें उन्होंने नौ वनडे में 18 और 9 T-20 मैच में 11 विकेट चटकाए।
• 2011 में डेब्यू करने वाले वरुण आरोन ने भारत के लिए आखिरी मैच 2015 में खेला, इसके बाद से कभी टीम में कमबैक नहीं कर पाए।
आपके हिसाब से इन पाँचों में से सबसे ज्यादा टैलेंटेड..सबसे ज्यादा प्रतिभावान खिलाड़ी कौन था..जिसे शायद अगर और मौके मिलते तो वह टीम इंडिया के लिए बड़ा नाम बन सकता था? कमेंट में हमें बताएं..