अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में दादा के रूप में मशहूर टीम इंडिया के पूर्व दिग्गज बल्लेबाज सौरभ गांगुली आज अपना 51वां जन्मदिन मना रहे हैं। सौरभ गांगुली एक ऐसे की कप्तान रहे हैं। जिन्होंने भारतीय टीम को अपनी कप्तानी में विदेशी धरती पर जीत दर्ज करना सिखाया है। भारतीय क्रिकेट का इतिहास गवाह है कि सौरभ गांगुली ऐसे क्रिकेटर हैं जिन्होंने अपनी दूरगामी सोच के चलते न सिर्फ भारतीय टीम को दादागिरी सिखाई। बल्कि एक ऐसी भारतीय टीम की नींव रखी जिसने साल 2011 में 28 साल बाद इतिहास को दोहराते हुए वनडे वर्ल्ड कप का खिताब अपने नाम किया। सौरभ गांगुली ने महेंद्र सिंह धोनी, युवराज सिंह और वीरेंद्र सहवाग जैसे खिलाड़ियों को भारतीय टीम में खेलने का मौका दिया। इसके अलावा उन्होंने इनका करियर भी संवारने का काम किया। आइए जान लेते हैं पूर्व दिग्गज क्रिकेटर और पूर्व BCCI अध्यक्ष सौरव गांगुली के क्रिकेट करियर के बारे में-
फुटबॉल छोड़ उठाया बैट
8 जुलाई 1972 को कोलकाता के बंगाली परिवार में जन्मे सौरव गांगुली के पिता बंगाल एसोसिएशन के एक सदस्य के रूप में कार्यरत थे। सौरव के पिता भले ही क्रिकेट से जुड़े हुए थे, परंतु बचपन में सौरव गांगुली एक फुटबॉलर बनना चाहते थे। हालांकि पिता के बंगाल क्रिकेट एसोसिएशन में काम करने की वजह से सौरव गांगुली का आना-जाना ग्राउंड में लगा रहता था। दसवीं तक सौरव गांगुली ने फुटबॉल खेला परंतु उसके बाद उनका रुझान क्रिकेट की तरफ बढ़ गया। स्पोर्ट्स में अच्छा होने के कारण जल्द ही वह अच्छा क्रिकेट भी खेलने लगे। जिसके चलते बाद में जाकर वह टीम इंडिया के दादा बने।
विश्व विजेता बनने की रखी नींव
साल 2000 का वक्त था 11 जनवरी 1992 को वेस्टइंडीज के खिलाफ वनडे क्रिकेट में डेब्यू करने वाले सौरव गांगुली टीम इंडिया में अपने आप को पूरी तरीके से स्थापित कर चुके थे। उसी दौरान भारतीय टीम को लेकर फिक्सिंग का खुलासा हुआ, जिसके बाद भारत का क्रिकेट अंधेरे में जाता हुआ दिख रहा था क्योंकि महान बल्लेबाज सचिन तेंदुलकर ने कप्तानी करने से मना कर दिया था। विषम परिस्थितियों में सौरव गांगुली ने भारतीय टीम की कमान संभाली और उन्होंने महज तीन वर्षों में एक मजबूत टीम बना डाली।
साल 2003 में खेले गए वनडे वर्ल्ड कप में टीम इंडिया ने दोबारा फाइनल तक का सफर तय किया। हालांकि अंत में वह आस्ट्रेलिया से हारकर ट्राफी अपने नाम नहीं कर सकी। परन्तु सौरव गांगुली की मेहनत जाया नहीं गई, उनकी बनाई हुई टीम ने महेंद्र सिंह धोनी की अगुवाई में साल 2007 का T20 वर्ल्ड कप और साल 2011 का वनडे वर्ल्ड कप अपने नाम किया।
सौरव गांगुली के व्यक्तिगत प्रदर्शन की बात करें, तो उन्होंने अपने पूरे इंटरनेशनल क्रिकेट करियर के दौरान भारतीय टीम के लिए 113 टेस्ट और 311 वनडे मुकाबले खेले हैं। जिसमें उन्होंने क्रमशः 16 और 22 शतक लगाए हैं। उन्होंने साल 2008 में आस्ट्रेलिया के खिलाफ आखिरी टेस्ट मैच खेलकर अपने इंटरनेशनल क्रिकेट करियर को अलविदा कहा था।