पहले IPL फिर टेस्ट क्रिकेट खेलने के बाद भारतीय क्रिकेट टीम एक बार फिर से सफेद बॉल प्रतियोगिता में वापस लौट आई है। उसने वेस्टइंडीज के खिलाफ पहले वनडे मुकाबले में 5 विकेट से जीत दर्ज की है। टीम इंडिया के वनडे क्रिकेट में वापस लौटने के साथ ऑलराउंडर हार्दिक पांड्या की भी वापसी हो गई है। हार्दिक पांड्या ने टीम इंडिया के लिए पहला वनडे मुकाबला खेला था। इस दौरान वह 5 रन बनाकर रन आउट हो गए थे। जबकि बतौर गेंदबाज 3 ओवर गेंदबाजी करते हुए 17 रन देकर 1 विकेट चटकाए था। हार्दिक पांड्या पिछले कुछ समय से कमर की चोट की समस्या से जूझ रहे हैं। जिसके चलते वह भारतीय टेस्ट टीम का हिस्सा नहीं बन पा रहे हैं।
भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व दिग्गज खिलाड़ी हार्दिक पांड्या को टेस्ट क्रिकेट में मौका देने को लेकर दो धड़ों में बंटे हैं। एक का मानना है कि हार्दिक पांड्या को टेस्ट क्रिकेट में खेलना चाहिए, जबकि दूसरे का कहना है कि हार्दिक पांड्या केवल सफेद बाल क्रिकेट में अपना पूरा फोकस करें, तो वह ज्यादा बेहतर होगा।
सफेद बाल क्रिकेट पर फोकस करें पांड्या:शास्त्री
इस बहस में भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व कोच रवि शास्त्री ने इस बात का दावा किया है कि हार्दिक पांड्या का शरीर टेस्ट क्रिकेट का बोझ नहीं सह सकता है। उन्होंने द वीक को दिए गए इंटरव्यू में कहा था कि, “हार्दिक पांड्या टेस्ट क्रिकेट का बोझ नहीं सह सकते यह बिल्कुल स्पष्ट है विश्वकप के बाद मुझे लगता है कि उसे व्हाइट बॉल की कैप्टंसी संभालनी चाहिए।” टीम इंडिया के पूर्व कोच का यह बयान तब आया था जब हार्दिक पांड्या बतौर ऑलराउंडर नहीं बल्कि बतौर बल्लेबाज अपनी टीम गुजरात टाइटंस का नेतृत्व कर रहे थे।
रवि शास्त्री और कपिल देव में मतभेद
टीम इंडिया के पूर्व कोच रवि शास्त्री के इस बयान से 1983 वर्ल्ड कप विजेता कप्तान कपिल देव सहमत नहीं हैं। उन्होंने द वीक को दिए गए एक दूसरे इंटरव्यू में कहा कि, मैं रवि शास्त्री के बयान का सम्मान करता हूं लेकिन क्यों कोई भी खिलाड़ी डेनिस लिली से ज्यादा चोटिल नहीं हुआ है? इसलिए मैं इसे नहीं मानता हूं? मनुष्य का शरीर किसी भी चीज से रिकवर कर सकता है और बेहतर स्थिति में आ सकता है। जहां तक हार्दिक पांड्या की बात है तो वह एक अच्छा एथलीट है। अच्छा दिखता है यदि वह अपने शरीर पर कड़ी मेहनत करेगा, तो उसका शरीर इसे सहन कर लेगा।
इस दौरान कपिल देव ने वेस्टइंडीज के भारी-भरकम खिलाड़ी रहकीम कॉर्नवाल का भी उदाहरण दिया। उन्होंने कहा कि, मैं समझ सकता हूं कि अगर वेस्टइंडीज के ऑफ स्पिनर(रहकीम कॉर्नवाल) का शरीर नहीं झेल सकता लेकिन समय के साथ उसका शरीर भी यह कर सकता है, अगर वह उस चीज के लिए मेहनत करना शुरू करें।