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‘वनडे और टी-20 में नहीं, मौका देना ही है तो उसे को टेस्ट में उतारो…’, युवा सनसनी को लेकर पूर्व ओपनर ने बताया मास्टर प्लान

23 वर्षीय युवा सनसनी उमरान मलिक अपनी रफ्तार के लिए जाने जाते हैं। उन्होंने IPL में बेहतरीन प्रदर्शन कर टीम इंडिया में अपनी जगह बनाई थी। उमरान मलिक भारतीय टीम के लिए वनडे और टी20 में डेब्यू कर चुके हैं। परंतु अभी तक वह टेस्ट टीम में जगह बनाने में कामयाब नहीं हो पाए हैं। चूंकि इस वक्त भारतीय टीम वेस्टइंडीज दौरे पर है जहां वह दो मैचों की टेस्ट सीरीज खेल रही है। जिसके चलते इस वक्त टेस्ट क्रिकेट चर्चा के केंद्र में है। उसी चर्चा में एक और कड़ी जोड़ते हुए भारतीय टीम के पूर्व सलामी बल्लेबाज संजय मांजरेकर ने उमरान मलिक को लेकर एक जरूरी सुझाव दिया है।

संजय मांजरेकर का मानना है कि उमरान मलिक को टेस्ट क्रिकेट में मौका दिया जाना चाहिए। उन्होंने इसके पीछे का बाकायदा कारण भी बताया है। दरअसल उमरान मलिक वेस्टइंडीज के खिलाफ खेले जा रहे दो मैचों की टेस्ट सीरीज में टीम इंडिया का हिस्सा नहीं है। परंतु उन्हें वनडे और टी-20 टीम में चुना गया है। पूर्व दिग्गज संजय मांजरेकर का मानना है कि टेस्ट क्रिकेट में उमरान अपनी पेस बॉलिंग से टेलएंडर्स बैटर्स को परेशान कर सकते हैं। वह इंग्लिश दिग्गज मार्क वुड की तरह टेस्ट क्रिकेट में 90 मील प्रति घंटा की रफ्तार से गेंदबाजी करने में सक्षम है। इसलिए वे विकेट निकालने में सफल साबित होंगे।

संजय मांजरेकर का बयान

पूर्व सलामी बल्लेबाज संजय मांजरेकर ने एक इंटरव्यू में कहा कि, “मेरा मानना है कि यदि आप उमरान मलिक को भारतीय टीम में चुनते हैं तो फिर उसे टेस्ट क्रिकेट में मौका दें। क्योंकि हम सभी ने देखा है कि मार्क वुड ने आखिरी एशेज टेस्ट खेला था जिसमें वह 90 मील प्रति घंटे की रफ्तार से गेंदबाजी कर सकता है। उसकी खासियत यह है कि उसके खिलाफ पुछल्ले बल्लेबाज लंबे समय तक नहीं टिक पाते हैं। इसलिए यदि आपको उमरान मलिक को देखना है तो आप उन्हें सफेद बाल क्रिकेट के बजाय रेड बॉल क्रिकेट में मौका दें। आप उमरान मलिक को एक ऐसे टेस्ट सीरीज में मौका दे सकते हैं जो बहुत अधिक हाईप्रोफाइल न हो, वहां आप उन्हें 3-4 ओवर का स्पेल दें। ऐसा करेंगे तो वह हमारी गेंदबाजी में x-factor साबित हो सकता है।”

संजय मांजरेकर ने आगे कहा कि, “जब आपके पास बहुत अधिक गति होती है और आपको सफेद बाल क्रिकेट में मौका मिलता है, तो आप पर काफी अधिक दबाव होता है। क्योंकि आपको बिल्कुल सटीक गेंदबाजी करनी होती है। यदि गेंद थोड़ी सी भी इधर-उधर जाती है तो आप महंगे साबित हो सकते हैं, इसलिए कप्तान उतना रिस्क नहीं लेता है। पाकिस्तान ने पहले इसे करके भी दिखाया है, जब उसके पास 90 मील प्रति किलोमीटर की रफ्तार से गेंद करने वाले युवा गेंदबाज होते थे, तो वह उन्हें टेस्ट क्रिकेट में शामिल कर लेता था।”

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