क्रिकेट के भगवान सचिन तेंदुलकर के बेटे अर्जुन तेंदुलकर ने रणजी ट्रॉफी में डेब्यू कर लिया है। क्या उनका ये आरंभ प्रचंड होगा?
क्या अर्जुन अपने पिता मास्टर ब्लास्टर सचिन तेंदुलकर की तरह ही रिकॉर्ड ब्रेकर निकलेंगे?
पिता की नहीं अपनी खुद की पहचान बनाएंगे अर्जुन तेंदुलकर
एक युवा खिलाड़ी पर इतना भार देना सही नहीं होगा। अर्जुन तेंदुलकर ने अभी-अभी अपने करियर की शुरुआत की और उनपर इतने रिकार्ड्स और लेजेंड बनने का भार देने से उनका नेचुरल गेम ख़राब होगा। अर्जुन तेंदुलकर की नज़रे पिता के नक्शेकदम पर चलते हुए अपनी खुद की पहचान बनाने पर होगी।
किस टीम से अर्जुन तेंदुलकर ने रणजी ट्रॉफी में किया डेब्यू?
अर्जुन ने रणजी ट्रॉफी के एलीट ग्रुप सी में गोवा के लिए राजस्थान के खिलाफ अपना मुकाबला खेला। उन्हें पहले दिन गेंदबाजी का मौका तो नहीं मिला लेकिन बल्लेबाजी करने के लिए वह मैदान पर उतरे। और दुसरे दिन यानी आज उन्होंने प्रचंड रूप दिखाते हुए अपने डेब्यू मैच में सैकड़ा जड़ डाला है और अभी भी वो नाबाद हैं।
अर्जुन तेंदुलकर का Selection मेहनत या Nepotism?
कई लोगों को अर्जुन का सिलेक्शन Nepotism लगेगा। सचिन के बेटे होने उन्हें फायदा ज़रूर मिल सकता है लेकिन अगर वो योग्य होंगे तभी आगे पहुँच पाएंगे। जिन लोगों को अर्जुन का सिलेक्शन Nepotism लग रहा है उन लोगों को शायद ये नहीं पता बाएं हाथ के इस तेज गेंदबाज को इस साल की शुरुआत में मुंबई के लिए खेलने का पर्याप्त मौका नहीं मिला। जिसके बाद वो गोवा शिफ्ट हो गए थे। उन्होंने मुंबई और गोवा के लिए केवल सात लिस्ट ए मैच और नौ T-20 मैच खेले हैं। राजस्थान के खिलाफ मैच से उनके प्रथम श्रेणी करियर की भी शुरुआत हो हुई है। बताते चलें अर्जुन इंडियन प्रीमियर लीग (IPL) में मुंबई इंडियंस का भी हिस्सा थे, लेकिन उन्हें खेलने का मौका नहीं मिला।
मेहनत रंग लायी
इतने रिजेक्शन के बाद ये उनकी मेहनत ही जिसकी वजह से उन्होंने रणजी ट्रॉफी में डेब्यू किया है।
आपको क्या लगता ये Nepotism है या फिर मेहनत। अपनी राय हमें कमेंट सेक्शन में ज़रूर बताएं।