साल 2011 में भारत, श्रीलंका और बांग्लादेश की मेजबानी में खेले गए वनडे वर्ल्ड कप पर टीम इंडिया ने कब्जा जमाया था। उस दौरान भारतीय क्रिकेट टीम के कप्तान महेंद्र सिंह धोनी ने श्रीलंका के खिलाफ नुवान कुलाशेखरा की गेंद पर दमदार छक्का जड़कर भारत को दोबारा विश्व विजेता बनाया था। टीम इंडिया ने 12 वर्ष पहले जब ट्रॉफी पर कब्जा जमाया था, तो उस दौरान भारतीय टीम के मौजूदा कप्तान रोहित शर्मा को स्क्वॉड का हिस्सा नहीं बनाया गया था। अब उसके पीछे की वजह भी सामने आई है, दरअसल तत्कालीन कप्तान एमएस धोनी, रोहित शर्मा की जगह टीम इंडिया में किसी और खिलाड़ी को चाहते थे। इसी वजह से सलामी बल्लेबाज रोहित शर्मा 2011 का वर्ल्ड कप खेलने से वंचित रह गए।
पूर्व चयनकर्ता वेंकट कृष्णमाचारी श्रीकांत ने इस बात का दावा किया है कि, उस दौरान कप्तान महेंद्र सिंह धोनी, स्पिनर पीयूष चावला को अपनी टीम का हिस्सा बनाना चाहते थे। जिसके चलते रोहित शर्मा का पत्ता कट गया। वेंकट कृष्णमाचारी श्रीकांत 2011 में सेलेक्शन पैनल का हिस्सा हुआ करते थे। जिन्होंने वर्ल्ड कप के लिए टीम इंडिया का चयन किया था।
सेलेक्शन होने के बाद धोनी ने कराया बाहर
रेव स्पोर्ट्स से बातचीत में वेंकट से जब यह सवाल पूछा गया कि, 2011 वर्ल्ड कप के 1 महीने पहले आप के नियमित सेलेक्शन पैनल से रोहित शर्मा को बाहर कर दिया गया था। इसके पहले वह 3 साल तक वनडे टीम के नियमित सदस्य रहे थे ,आपके द्वारा लिया गया यह निर्णय कितना मुश्किल था?
इसके जवाब में उन्होंने कहा कि, “जब हम वर्ल्ड कप के लिए टीम का सेलेक्शन करने बैठे, तो रोहित प्लान का हिस्सा थे। यशपाल शर्मा और मैं उस समय दक्षिण अफ्रीका में थे। क्योंकि भारतीय टीम दक्षिण अफ्रीका का दौरा कर रही थी और अन्य तीन चयनकर्ता श्रीकांत, सुरेंद्र भावे और नरेंद्र हिरवानी चेन्नई में थे। जब हम टीम का चयन कर रहे थे, तो एक से लेकर 14 तक हर खिलाड़ी के नाम को पैनल ने स्वीकार किया, नंबर 15 पर हमने रोहित का नाम सुझाया। तत्कालीन कोच गैरी कर्स्टन को भी लगा कि यह एक परफेक्ट सेलेक्शन है। परंतु कप्तान महेंद्र सिंह धोनी पीयूष चावला को उस टीम में रखना चाहते थे। जिसके चलते गैरी कर्स्टन पलट गए। उन्होंने कहा कि, मुझे लगता है कि, ‘पीयूष चावला एक बेहतर ऑप्शन है।’ जिसके चलते रोहित शर्मा बाहर हो गए।”
बताते चलें कि, पीयूष चावला ने वनडे वर्ल्ड कप 2011 में केवल तीन मुकाबले खेले थे। इस दौरान उन्होंने भारतीय टीम के लिए चार विकेट चटकाए थे। परंतु महेंद्र सिंह धोनी की अगुवाई में टीम इंडिया ने 28 साल बाद दूसरा वनडे वर्ल्ड कप जीतकर इतिहास रचा था।