भारत की मेजबानी में अंग्रेजी टीम पांच मैचों की टेस्ट श्रृंखला खेलने के लिए आई हुई थी, मुकाबला शुरू होने से पहले ही अंग्रेजो ने अपनी टीम को बैजबॉल करार देते हुए भारतीय खिलाड़ियो के अंदर दहशत बिठाने का प्रयास किया लेकिन अंग्रेजों का यह प्रोपोगेंडा लंबे समय तक नहीं टिक सका। दरअसल, इस नीति के तहत इंग्लैंड टीम पहला मुकाबला 28 रनों से अपने नाम करने में सफल रही, फिर आंग्रेजी बैजलबॉल प्रणाली ने टीम का साथ छोड़ दिया और अगले सभी मुकाबले भारतीय टीम के पक्ष में जाते दिखाई दिए, जिसके चलते टीम इंडिया सीरीज को 3-1 की बढ़त से कब्जाने में सफल रही।
जब तीसरा मुकाबला भारतीय टीम ने 434 रनों से अपने नाम किया तो इंग्लैंड को भारी झटका लगा और जिस पर ऑस्ट्रेलियाई कप्तान इयान चौपल ने वाइड वर्ल्ड ऑफ स्पोर्ट्स से बातचीत के दौरान अंग्रेजी टीम का मार्गदर्शन किया और वास्तविक खेल खेलने पर जोर देते हुए कहा, “रूट का सामान्य रूप से खेलने का रिकॉर्ड बहुत अच्छा था और वह सामान्य रूप से खेलने वाले तेज स्कोरर थे। मुझे समझ नहीं आता कि वह चीजों को इतना अधिक बदलने की कोशिश क्यों कर रहे हैं और मैंने कभी नहीं माना कि आपको पूर्व नियोजित शॉट खेलने चाहिए।”
जैसे ही इंग्लैंड टीम ने चौपल की बात का सहसा पालन किया और चौथे टेस्ट मैच की शुरूआत में टॉस जीतकर बल्लेबाजी करते हुए सभी खिलाड़ियों ने बैजबॉल प्रणाली का प्रयोग किये बिना साधारण खेल खेलने पर जोर दिया, जिसके चलते रूट टीम को अपना शतकीय योगदान देने में कामयाब रहे, इनके इस प्रदर्शन पर अंग्रेजी टीम के पूर्व कप्तान माइकल बॉन ने काफी तारीफी की और ‘बैजबॉल प्रणाली’ को नया नाम ‘सेंसबॉल’ दे डाला। फिर इसके बाद दूसरे दिन अंग्रेजी टीम के कुछ बल्लेबाज स्वीप और रिवर्स स्वीप शॉट्स लगाते दिखाई दिए जिस कारण टीम का स्कोर 353 रनो तक पहुच सका, फिर जबावी कार्यवाही में टीम इंडिया मात्र 307 रन ही बना सकी, लेकिन दसरी पारी में भारतीय खिलाड़ियो ने काफी सतर्रकता से फील्डिंग की और अंग्रेजों को 145 रनों पर समेट दिया जिसके चलते भारतीय टीम के सामने मात्र 192 रनो लक्ष्य था जिसका भेदन मात्र पांच खिलाड़ियों ने कर दिया और अंग्रेजों को धूल चटाने काम किया। यहां अंग्रेजों की सेंसबॉल भी काम नहीं आई।