भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच चार मैचों की टेस्ट सीरीज का तीसरा मुकाबला इंदौर के होलकर क्रिकेट स्टेडियम पर खेला जा रहा है। इस मैच में टॉस जीतकर पहले बल्लेबाजी करने उतरी भारतीय टीम में दो बदलाव देखने को मिले हैं। जहां लंबे समय से फ्लॉप चल रहे सलामी बल्लेबाज केएल राहुल की जगह युवा ओपनर शुभमन गिल को मौका दिया गया है। वहीं तेज गेंदबाज मोहम्मद शमी के स्थान पर उमेश यादव ने टीम में वापसी की है।अभी हाल ही में उमेश यादव के पिता तिलक यादव का निधन हो गया था। जिसके बाद ऐसा माना जा रहा था कि उमेश यादव आखिरी दो टेस्ट मैचों से आराम ले लेंगे। क्योंकि नागपुर और दिल्ली की पिच के स्पिन फ्रेंडली होने के कारण शुरुआती दो टेस्ट मैचों में उन्हें अंतिम एकादश का हिस्सा नहीं बनाया गया था।
तीसरे टेस्ट में उमेश यादव को अंतिम एकादश का हिस्सा बनते देख प्रशंसक चौक उठे। पिछले सप्ताह पिता का निधन होने के बाद उमेश यादव फिर से मैदान में उतरे हैं। जिस कारण उनके जज्बे की हर कोई सराहना कर रहा है। उमेश यादव टीम इंडिया के पहले ऐसे खिलाड़ी नहीं है जिन्होंने अपने ऊपर दुखों का पहाड़ टूटने के बाद भी कर्तव्य को चुना है। उनसे पहले कई खिलाड़ी ऐसा कर चुके हैं।
विराट कोहली
टीम इंडिया के पूर्व कप्तान और स्टार बल्लेबाज विराट कोहली के पिता का उस वक्त निधन हो गया था। जब वह 17 वर्ष के थे। विराट कोहली अपने पिता के निधन के वक्त दिल्ली के लिए कर्नाटक के खिलाफ एक रणजी मुकाबला खेल रहे थे। पिता के निधन की खबर के बावजूद विराट अगले दिन बैट लेकर मैदान पर उतरे और अपनी टीम के लिए रन बनाए। खेल खत्म होने के बाद उन्होंने अपने पिता के अंतिम संस्कार में हिस्सा लिया था।
मोहम्मद सिराज
ICC के वनडे रैंकिंग में मौजूदा समय के सर्वश्रेष्ठ गेंदबाज मोहम्मद सिराज पर साल 2021 में दुखों का पहाड़ टूटा था। उस वक्त वह आस्ट्रेलिया के दौरे पर थे। तभी उन्हें अपने पिता के निधन का समाचार मिला। उनके पास दो रास्ते थे या तो वह स्वदेश लौटकर अपने पिता का अंतिम संस्कार करते या फिर टीम इंडिया का प्रतिनिधित्व। मोहम्मद सिराज ने अपने कर्तव्य को प्राथमिकता दी और ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ खेले गए सीरीज में टीम इंडिया के लिए अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन किया। हालांकि मोहम्मद सिराज स्वदेश लौटने के बाद सबसे पहले अपने पिता के कब्र के पास ही पहुंचे थे।
सचिन तेंदुलकर
मास्टर ब्लास्टर सचिन तेंदुलकर भी खेल के दौरान अपने पिता को खोने का दर्द महसूस कर चुके हैं। साल 1999 में सचिन तेंदुलकर के पिता का निधन हो गया था। उस वक्त सचिन भारत के लिए इंग्लैंड की मेजबानी में वर्ल्डकप खेल रहे थे। पिता के मौत की दुखद खबर सुनकर सचिन तेंदुलकर भारत लौट गए और उनका अंतिम संस्कार किया। सचिन तेंदुलकर उस वक्त टीम इंडिया की सबसे मजबूत कड़ी थे। देश का प्रतिनिधित्व करने के लिए वह 4 दिन के भीतर दोबारा इंग्लैंड रवाना हो गए।