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‘सन्यास लेते वक्त भी गेंदबाज बनने का रहेगा पछतावा….,’ भेदभाव के शिकार बने अश्विन ने खोल दी पोल

36 वर्षीय भारतीय क्रिकेटर और मौजूदा समय में दुनिया के सर्वश्रेष्ठ टेस्ट गेंदबाज रविचंद्रन अश्विन को उनके गेंदबाज बनने पर बड़ा पछतावा है। विश्व टेस्ट चैंपियनशिप के फाइनल मुकाबले में अंतिम एकादश का हिस्सा न बनाए जाने के बाद अब रविचंद्रन अश्विन तमिलनाडु प्रीमियर लीग में हिस्सा ले रहे हैं। रविचंद्रन अश्विन यह मानते हैं कि उन्होंने बतौर बल्लेबाज अपने क्रिकेट करियर की शुरुआत करने के बाद यू टर्न लेते हुए गेंदबाज बनकर अपने जीवन में बड़ी गलती कर दी। जिसको लेकर उन्हें अपने रिटायरमेंट के वक्त पश्चाताप करना होगा। यह सारी बातें आर अश्विन ने एक इंटरव्यू के दौरान अपने क्रिकेट करियर पर बात करते हुए कही है। अश्विनी यह भी मानते हैं कि दुनिया भर में होने वाले क्रिकेट में बल्लेबाजों और गेंदबाजों के साथ अलग-अलग तरीके का बर्ताव किया जाता है।

दरअसल अभी हाल ही में टीम इंडिया के पूर्व दिग्गज बल्लेबाज सुनील गावस्कर ने एक बयान में कहा था कि, खेल की परिस्थितियां और मैदान सिर्फ स्पिनर्स और गेंदबाजों के ऊपर लागू होता है। यह उनके न खेलने का कारण बनता है।परंतु यह चीज बल्लेबाजों पर लागू नहीं होती है। आर अश्विन ने इसी भेदभाव पर अपनी आवाज बुलंद की है।

आर अश्विन का बयान

द इंडियन एक्सप्रेस से बातचीत में रविचंद्रन अश्विन ने कहा कि, “यह एक सच्ची कहानी है मैं किसी बनावटी चीज में विश्वास नहीं करता। एक बार मैं भारत और श्रीलंका का मैच देख रहा था, उस दौरान भारत की गेंदबाजी चरमरा गई थी। क्रिकेट में मेरे पसंदीदा खिलाड़ी सचिन तेंदुलकर थे और जब वह रन बनाते थे तो गेंदबाज उन रनों को लीक कर देते थे। उस दौरान मैंने खुद से पूछा कि मुझे एक गेंदबाज होना चाहिए। क्या मैं मौजूदा गेंदबाजों से एक बेहतर विकल्प हो सकता हूं? यह सोचना एक बचकाना तरीका है, परंतु मैंने ऐसा ही सोचा और ऐसा ही किया। मैंने ऑफ स्पिन गेंदबाजी शुरू कर दी। यही से इस कहानी की शुरुआत हुई। जब मैं कल संन्यास लूंगा तो मुझे इस बात का पछतावा रहेगा कि मैं इतना अच्छा बल्लेबाज था, मुझे कभी गेंदबाज बनने के बारे में नहीं सोचना चाहिए था।”

गेंदबाज भेदभाव के भोगी

आर अश्विन ने आगे कहा कि,”मैं लगातार इस धारणा के खिलाफ लड़ता रहा, परंतु गेंदबाजों और बल्लेबाजों के लिए अलग-अलग पैमाने होते हैं और अलग-अलग तरीके से उनके साथ बर्ताव किया जाता है। हालांकि मैं समझता हूं कि बल्लेबाज के लिए यह 1 गेंद का खेल है, और उन्हें अधिक मौकों की जरूरत होती है। क्योंकि इस मसले पर मेरी एक दिग्गज से बातचीत हुई थी। जिसमें उन्होंने कहा था कि टेस्ट मैच के दौरान एक गेंदबाज के पास 40 से अधिक ओवरों तक संघर्ष करते रहने का समय होता है। परंतु मेरा तर्क है कि आप बल्लेबाज को मैच और नेट्स प्रैक्टिस के समय संघर्ष करते हुए देख रहे हैं, किसी बल्लेबाज की जरूरत नहीं बदलती यह अभी भी एक गेंद का खेल है।”

अश्विन ने आगे कहा कि,”मैं यहां यह नहीं कह रहा हूं कि बल्लेबाज को नहीं खिलाना चाहिए, उसे खिलाना चाहिए परंतु इसी तरह से गेंदबाज के साथ भी व्यवहार किया जाना चाहिए।” बताते चलें कि, आर अश्विन ने भारतीय टीम के लिए अभी तक कुल 92 टेस्ट, 113 वनडे और 65,T-20 मुकाबले खेले हैं। जिसमें उन्होंने क्रमशः 474, 151 और 72 विकेट चटकाए हैं। अश्विन का योगदान टेस्ट क्रिकेट में बल्ले से भी कम नहीं रहा है। उन्होंने बतौर बल्लेबाज टेस्ट में 3129 रन बनाते हुए टेस्ट क्रिकेट में 5 शतक भी लगाए हैं।

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