दुनिया भर के सर्वश्रेष्ठ विकेटकीपरों में अपना नाम दर्ज कराने वाले भारत के विश्व विजेता विकेटकीपर बल्लेबाज सैयद किरमानी आज अपना 73 वां जन्मदिन मना रहे हैं। उन्होंने भारतीय टीम को 1983 में पहला वनडे विश्वकप दिलाने में अहम भूमिका निभाई थी। सैयद किरमानी का जन्म मद्रास में 29 दिसंबर 1949 को हुआ था। बतौर विकेटकीपर उनकी चपलता और चतुराई से हर कोई वाकिफ है। किरमानी को लेकर एक कहानी प्रचलित है, बताया जाता है कि उन्होंने विकेटकीपिंग सीखने के लिए बचपन में अभावग्रस्त होने के कारण ईंट तक का प्रयोग किया था। जिसके परिणामस्वरूप उन्हें भारतीय टीम में फारुख इंजीनियर के सहयोगी के रुप में जगह मिली थी। जिस कारण अंतरराष्ट्रीय मैच खेलने के लिए 5 साल तक इंतजार करना पड़ा।
भारतीय टीम में उनका चयन 1971 में ही हो गया था। परंतु पहला टेस्ट मैच उन्होंने 1976 में न्यूजीलैंड के खिलाफ ईडन पार्क में खेला। बतौर विकेटकीपर बल्लेबाज सैयद किरमानी ने 88 टेस्ट मैच खेले हैं। जिसमें उन्होंने दो शतक और 12 अर्धशतक लगाने के साथ 2759 रन बनाए हैं। वहीं 49 एकदिवसीय मैचों में किरमानी के नाम 373 रन है जिसमें उनका सर्वश्रेष्ठ स्कोर 48 रन का रहा है।
1983 में किया कमाल
सैयद किरमानी को 1983 में भारतीय टीम का हिस्सा बनने का सौभाग्य प्राप्त हुआ। इस मौके को उन्होंने बखूबी भुनाया। 1983 के विश्वकप में किरमानी ने जिंबाब्वे के खिलाफ पहले ही मैच में विकेट के पीछे पांच बल्लेबाजों को अपना शिकार बनाया था। वह उस समय एक मैच में सबसे ज्यादा कैच का विश्व रिकॉर्ड था। इस टूर्नामेंट में खेले गए आठ मैचों में उन्होंने 12 कैच और 2 स्टंपिंग किए थे। जिस कारण उन्हें टूर्नामेंट का सर्वश्रेष्ठ विकेटकीपर चुना गया था। विकेटकीपिंग के लिए उन्हें इनाम स्वरूप चांदी की गेंद से सुसज्जित ग्लब्स पुरस्कार में दिया गया था। जिस पर लिखा था कि दुनिया का सर्वश्रेष्ठ विकेटकीपर। आपको बता दें वर्ष 1983 में कपिल देव की अगुवाई में भारतीय टीम ने पहली बार एकदिवसीय विश्वकप कर कब्जा जमाया था।