पिछले कुछ वर्षों में टीम इंडिया ने अपने क्रिकेट स्तर को काफी ऊंचा उठाया है। जिसके चलते जब किसी भी ICC इवेंट का आयोजन होता है, तो उस दौरान टीम इंडिया को टूर्नामेंट जीतने का प्रबल दावेदार माना जाता है। ICC टूर्नामेंट शुरू होने से पहले दुनियाभर के तमाम दिग्गज क्रिकेटर भारत को अपना पसंदीदा टीम बताते हैं। वैसे देखने में तो यह बेहद सामान्य सी बात है। क्योंकि भारत जिस लेवल का क्रिकेट खेलता है, उसके लिए ऐसा होना स्वाभाविक है। परंतु टीम इंडिया के दिग्गज स्पिनर रविचंद्रन अश्विन इस मसले को लेकर अलग दृष्टिकोण रखते हैं।
आर अश्विन का मानना है कि विदेशी क्रिकेटर भारत को इसलिए अपनी पहली पसंद बताते हैं क्योंकि वह बड़े इवेंट्स के दौरान होने वाले प्रेशर को अपने ऊपर से हटाकर भारत के ऊपर ट्रांसफर करने का काम करते हैं। यह एक विशेष तरीके की रणनीति है जिसका इस्तेमाल विदेशी क्रिकेटर किया करते हैं।
गुमराह करने की रणनीति
आर अश्विन ने अपने आधिकारिक यूट्यूब चैनल पर बातचीत में कहा कि,”मुझे पता है, दुनिया भर के सभी क्रिकेटर इसे एक रणनीति के रूप में उपयोग करेंगे और प्रत्येक ICC आयोजनों से पहले कहेंगे कि भारत पसंदीदा है। वे इस रणनीति का उपयोग अपना दबाव कम करने और हम पर अतिरिक्त दबाव डालने के लिए करते हैं।”
इस दौरान आर अश्विन ने वेस्टइंडीज के खिलाफ बारबाडोस में खेले गए दूसरे वनडे मुकाबले में मिली हार का उदाहरण देते हुए भी अपनी बात को समझने की कोशिश की। उन्होंने कहा कि, “ ऑस्ट्रेलिया भी क्रिकेट का एक पावरहाउस है। हमने बारबाडोस में वेस्टइंडीज के खिलाफ दूसरे वनडे में हार के बारे में बात की। मैंने उल्लेख किया कि हमें टीम इंडिया का समर्थन करना चाहिए और उन्हें विश्व कप में दबाव मुक्त भेजना चाहिए। अधिकांश सहमत थे, लेकिन उनमें से कुछ इस तरह थे, ‘ऐसा लगता है कि वह पहले से ही इस बात को लेकर सतर्क हैं कि अगर टीम इंडिया नहीं जीतेगी तो क्या होगा?वे हर चीज का दोष प्रशंसकों पर मढ़ रहे हैं।’
मेजबान होने का फायदा
आर अश्विन ने बातचीत को आगे बढ़ाते हुए कहा कि“देखिए, हमें यह समझना चाहिए कि कोई भी दोष प्रशंसकों पर नहीं डाल सकता। मैं भी समझता हूं। मेरे कहने का मतलब यह था कि प्रशंसक टीम के सबसे महत्वपूर्ण अंग हैं। प्रशंसक क्रिकेट मैच का पूरा माहौल बदलने का माद्दा रखते हैं। जब कोई टीम अपने घरेलू मैदान पर खेलती है तो फिर समर्थन अधिक मिलता है जबकि विदेशी टीमों को इस मामले में नुकसान उठाना पड़ता है।”