IPL 2023 का मिनी ऑक्शन 23 दिसंबर को कोच्चि में संपन्न हो चुका है। हर बार की तरह इस बार भी IPL की फ्रेंचाइजियों ने खिलाड़ियों को खरीदने में करोड़ों रुपए की बारिश की है।इस मिनी ऑक्शन में इंग्लैंड टीम के हरफनमौला खिलाड़ी सैम करन को किंग्स इलेवन पंजाब ने 18.50 करोड़ रुपए में खरीदा है जो IPL के इतिहास के सबसे महंगे खिलाड़ी बने हैं। ऐसे में आपके मन में एक सवाल जरूर होगा कि IPL की फ्रेंचाइजियों के पास इतना पैसा आता कहां से है। और अगर वह इतने पैसे अपने जेब से खर्च कर रहे हैं तो उसके बाद उन्हें कितनी कमाई होती होगी। आपके इन सवालों का जवाब हम अपने इस लेख में देने की कोशिश करेंगे तो चलिए शुरू करते हैं-
टीम बनाने में अधिकतम खर्च
मौजूदा समय में इंडियन प्रीमियर लीग में कुल 10 टीमें प्रतिभाग करती हैं। जिसमें एक टीम अपने स्क्वायड में अधिकतम 25 खिलाड़ियों को सम्मिलित कर सकती है और इसमें भी विदेशी खिलाड़ियों की संख्या 8 से अधिक नहीं हो सकती है। इन खिलाड़ियों को अपनी टीम में सम्मिलित करने के लिए सभी फ्रेंचाइजियों के पर्स में 90-90 करोड़ रुपए निर्धारित होते हैं। मतलब साफ है कि कोई भी फ्रेंचाइजी अपनी 25 सदस्यीय टीम बनाने के लिए 90 करोड़ रुपए से अधिक नहीं खर्च कर सकती है। यानी खिलाड़ियों को अपनी खेमे में लेने के लिए सभी 10 फ्रेंचाइजियां कुल मिलाकर 900 करोड़ रुपए अधिकतम खर्च कर सकती है।
फ्रेंचाइजियों की आमदनी के तीन तरीके
IPL को आयोजित करने का काम भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड करता है। ऐसे में BCCI और IPL की फ्रेंचाइजियों को खरीदने वाले मालिकों के कमाई का तीन जरिया है। जिसमें सेंट्रल रिवेन्यू, प्रमोशनल रिवेन्यू, और लोकल रिवेन्यू शामिल हैं। फ्रेंचाइजियों के मालिकों को सर्वाधिक कमाई सेंट्रल रिवेन्यू से होती है। जिसके बाद दूसरे नंबर पर प्रमोशनल रेवेन्यू और तीसरे नंबर पर लोकल रिवेन्यू आता है।
सेंट्रल रिवेन्यू
सेंट्रल रिवेन्यू BCCI और IPL के फ्रेंचाइजी के मालिकों की कमाई का सबसे बड़ा जरिया है। इसमें BCCI अपने मीडिया राइट्स, ब्रॉडकास्ट के राइट्स और टाइटल स्पान्सरशिप को बेचती हैं।जिसमें उन्हें सबसे अधिक कमाई होती है। यह फ्रेंचाइजियों को होने वाली कुल कमाई का 60 से 70 फ़ीसदी का हिस्सा है। आसान भाषा में समझे तो BCCI किसी प्रसारक को मीडिया राइट्स, ब्रॉडकास्ट राइट्स और टाइटल स्पान्सरशिप बेचकर जितना रेवेन्यू जुटाता है। उसका 50% हिस्सा सभी टीमों में बराबर-बराबर बांट देता है, जबकि बचा हुआ 50% BCCI खुद रखता है जिसे वह अपने घरेलू क्रिकेट पर खर्च करता है। अभी IPL के ब्रॉडकास्टिंग के राइट्स स्टार स्पोर्ट्स के पास है। साल 2008 में आईपीएल के शुरुआती समय में BCCI ने सेंट्रल रिवेन्यू को 80 और 20 फीसदी के अनुपात में बांटा था। लेकिन धीरे-धीरे BCCI ने अपना हिस्सा बढ़ाकर 50 फीसदी कर दिया और अभी 50-50 मॉडल लागू है।
प्रमोशनल रेवेन्यू
इस प्रकार के रेवेन्यू से IPL की फ्रेंचाइजियां अपने कुल कमाई का 20 से 30 फ़ीसदी हिस्सा प्राप्त करती है। थोड़ा आसान भाषा में कहें तो खिलाड़ियों की टोपी, जर्सी, जूते और हेलमेट पर दिखने वाले कंपनियों के नाम और लोगों से फ्रेंचाइजियों को काफी अधिक आय होती हैं। इसी कैटेगरी में IPL के दौरान खिलाड़ियों द्वारा विज्ञापन सूट करके जुटाया गया धन भी शामिल है।
लोकल रिवेन्यू
लोकल रिवेन्यू में भौतिक रूप से मैदान पर जाकर क्रिकेट देखने वाले दर्शकों के द्वारा खरीदे गए टिकट से प्राप्त धन शामिल है।IPL के प्रत्येक सीजन में 7 से 8 घरेलू मैचों के दौरान फ्रेंचाइजी मालिक टिकट बिक्री का अनुमानित 80% हिस्सा अपने पास रखते हैं जबकि बाकी का 20% हिस्सा, BCCI और प्रायोजकों के बीच बंट जाता है। यहां एक बात और हम साफ कर दें, मैच के दौरान दर्शकों द्वारा खरीदा गया जर्सी, टोपी और अन्य सामानों को बेचकर प्राप्त किया गया धन भी लोकल रेवेन्यू में ही आता है।
प्राइज मनी
IPL के पिछले सीजन के मुताबिक,खिताब जीतने वाली गुजरात टाइटन्स को ट्रॉफी के साथ 20 करोड़ रुपये का इनाम दिया गया था। जबकि उपविजेता राजस्थान रॉयल्स को 12.50 करोड़ रुपये की इनामी राशि मिली थी। वहीं तीसरे स्थान पर रहने वाली रॉयल चैलेंजर्स बेंगलोर को 7 करोड़ और चौथे पायदान पर रही लखनऊ सुपर जायंट्स को 6.50 करोड़ रुपये मिले थे। प्राइज मनी का आधा पैसा टीम के मालिक और आधा खिलाड़ियों को मिलता है। वैसे तो IPL की फ्रेंचाइजियां एक सीजन में कितने पैसे कमाती हैं। इसका बिल्कुल सही आंकड़ा बता पाना थोड़ा मुश्किल है। परंतु औसत कमाई 300 करोड़ के आसपास होती है। जिसमें से यदि खर्च को घटा दिया जाए तो सभी फ्रेंचाइजियां औसतन 140-170 करोड़ के बीच लाभ प्राप्त करती हैं। आपको बता दें आईपीएल की लोकप्रियता दिन प्रतिदिन बढ़ती जा रही हैं। ऐसे में IPL 2023 के दौरान फ्रेंचाइजियों के मालिकों की कमाई और बढ़ने की उम्मीद है।