क्रिकेट में एक सामान्य T20 मैच खेले जाने में 3 से 4 घंटे का समय लगता है। परंतु IPL 2023 का फाइनल मुकाबला संपन्न होने में करीब 30 घंटे का समय लग गया। इसके पीछे की वजह अहमदाबाद के नरेंद्र मोदी स्टेडियम में 28 और 29 मई के दिन हुई झमाझम बारिश बनी। बारिश के कारण 28 मई को खेला जाने वाला फाइनल मुकाबला 30 मई रात करीब 2:00 बजे जाकर समाप्त हुआ।यह T20 क्रिकेट के इतिहास का ऐसा पहला मैच बना जो 28,29 और 30 मई यानी तीन तारीखों में जाकर संपन्न हुआ। इस दौरान मुकाबला देखने पहुंचे दर्शकों को काफी असुविधा झेलनी पड़ी। क्योंकि एक T20 मैच में टेस्ट मैच जितना समय लग जाने पर तमाम दर्शकों ने स्टेशन पर अपनी रात गुजारी।
फाइनल जैसे अहम मुकाबले में बारिश के खलल के कारण उत्पन्न हुए व्यवधान के बाद लोगों के जेहन में एक सवाल जरूर उभर कर आया होगा। दरअसल लोग यह सोच रहे थे कि तकनीकी के कारण आज क्रिकेट के बैट, बॉल और स्टंप से लेकर खेल के दौरान प्रयुक्त होने वाले अन्य सामान तक इतने एडवांस हो गए हैं। तो फिर हम एक क्रिकेट मैच को बंद स्टेडियम में क्यों न संपन्न कराएं। जिससे मैच के दौरान किसी भी तरीके का व्यवधान उत्पन्न न हो। बतौर दर्शक ऐसा सोचना उचित भी लगता है। आइए अपने इस आर्टिकल के माध्यम से समझने का प्रयास करते हैं कि आखिर अभी तक हम छत वाले स्टेडियम में क्रिकेट मैच कराने के लिए सक्षम क्यों नहीं हो सके?
बंद स्टेडियम से नुकसान
छत वाला स्टेडियम बनाने से भले ही बारिश के दौरान मैच खेलना सम्भव हो जाएगा। परंतु इसका एक बड़ा नुकसान भी हैं। दरअसल क्रिकेट मैच में पिच का काफी अहम रोल होता है। किसी मैच में रनों की बरसात होगी या मुकाबला लो स्कोर वाला होगा। यह काफी हद तक पिच के मिजाज पर निर्भर करता है। दक्षिण अफ्रीका, इंग्लैंड, आस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड की पिचें अपेक्षाकृत तेज गेंदबाजों के मुफीद मानी जाती हैं। जबकि एशियाई देशों में स्पिनर हावी रहते हैं। इसके पीछे की वजह दोनों जगहों पर अलग-अलग मौसम का होना है। ऐसे में यदि बंद स्टेडियम वाली पिचें बनाई जाएंगी तो वह पूरी तरह से सपाट हो जाएंगी। जिससे स्पिन गेंदबाजों को काफी नुकसान उठाना पड़ेगा।
छत से गेंद टकराने का डर
खासकर T20 क्रिकेट में मैच के दौरान लंबे-लंबे छक्के लगना एक सामान्य सी बात है। इसमें से कुछ शाट्स की ऊंचाई अधिक होती है और कुछ शॉट्स स्टेडियम के बाहर भी जाते हैं। ऐसे में मुकाबले के दौरान गेंद के छत से टकराने का खतरा हमेशा बना रहेगा। मैच के दौरान किसी बल्लेबाज द्वारा लगाए गए शॉट पर यदि कोई गेंद अधिक लंबाई प्राप्त न करते हुए ऊंचाई पर चली जाती है, तो वह छत से टकरा जाएगी और अंपायर द्वारा उसे डेड बॉल करार दिया जाएगा। क्योंकि किसी भी मैच के दौरान गेंद के स्पाइडर कैमरे से टकराने के बाद उसे डेड बॉल करार दिया जाता रहा है। ऐसे में गेंद के छत से टकराने पर भी वही नियम लागू होगा।
स्टेडियम बनाने में अधिक पैसे खर्च होंगे
एक सामान्य क्रिकेट स्टेडियम बनाने में कम खर्च आता है। परंतु जब उसी स्टेडियम को छत वाला बंद स्टेडियम बनाया जाएगा तो उसमें पहले के मुकाबले दो गुना से भी अधिक खर्च आएगा। वैसे तो भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड काफी अमीर है और उसके पास पर्याप्त पैसे हैं।इस वह ऐसा कर सकता है। परंतु अन्य देशों का क्रिकेट बोर्ड इतना अमीर नहीं है। जिस कारण उन्हें छत वाले स्टेडियम बनाने में आर्थिक दिक्कतों का सामना करना पड़ेगा। ऐसा नहीं है कि किसी देश ने छत वाला स्टेडियम बनाने पर विचार नहीं किया है। ऑस्ट्रेलिया में एक छत वाला क्रिकेट स्टेडियम भी है। जिसमें मैच भी खेले जाते हैं। परंतु अभी तक इस बंद स्टेडियम में कोई बड़ा अंतरराष्ट्रीय मुकाबला नहीं कराया जा सका है।