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बोर्ड एग्जाम में अधिक नंबर पाने के लिए क्रिकेटर बने जितेश शर्मा, एमएस धोनी से मिलती-जुलती कहानी

भारतीय टीम के नियमित विकेटकीपर बल्लेबाज ऋषभ पंत के चोटिल होने के बाद हाल ही में टीम इंडिया में जगह बनाने वाले विकेटकीपर जितेश शर्मा को अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में डेब्यू करने का इंतजार है। परंतु एक समय ऐसा भी था जब जितेश शर्मा क्रिकेटर ही नहीं बनना चाहते थे। जितेश शर्मा का सपना था कि वह NDA की परीक्षा पास करके भारतीय सेना में जाएं। इस बात का खुलासा कोई और नहीं बल्कि जितेश ने ही किया है।

जितेश शर्मा को साल 2017 में मुंबई इंडियंस ने अपने स्क्वायड में शामिल किया था। परंतु उन्हें पूरा सीजन ड्रेसिंग रूम में ही गुजारना पड़ा। जबकि साल 2022 में जितेश शर्मा को पंजाब किंग्स की ओर से खेलने का मौका मिला। जिस मौके को उन्होंने दोनों हाथों से लपका और भारतीय टीम में जगह बना ली।

धोनी की तरह फुटबॉल खेलते थे जितेश

जितेश शर्मा भारतीय टीम के पूर्व दिग्गज कप्तान महेंद्र सिंह धोनी की तरह अपने स्कूल के लिए फुटबॉल खेलते थे। ईएसपीएनक्रिकइंफो से बातचीत में जितेश ने कई खुलासे किए हैं। उन्होंने बताया कि, “वह अपने स्कूल के लिए फुटबॉल खेला करते थे। तभी उनके दोस्तों ने बताया कि उनके स्कूल की क्रिकेट टीम काफी अच्छी है। अगर उनका चयन स्टेट टीम में हो जाता है तो उनको एग्जाम में अधिक नंबर मिल सकते हैं।” जितेश शर्मा ने कहा कि, “सच कहूं तो मुझे क्रिकेट खेलने में किसी भी प्रकार की दिलचस्पी नहीं थी मैं प्लास्टिक की गेंद से क्रिकेट खेलता था। लेकिन जब मैंने अधिक नंबर प्राप्त करने के लिए खेलना शुरू किया तो मेरा क्रिकेट आगे बढ़ गया।

जितेश ने कहा कि, जब स्कूल क्रिकेट के लिए ट्रायल हो रहा था, तो उस दौरान उनके स्कूल में कोई विकेटकीपर नहीं था। विकेटकीपर की तलाश में जब स्कूल के स्पोर्ट मैनेजमेंट ने पूछा कि, क्या वह विकेटकीपर हैं? तो उन्होंने हां में उत्तर दे दिया। जिसके बाद जितेश ने विकेटकीपिंग सीखना शुरू किया।आपको बता दें महाराष्ट्र में एक नियम है कि यदि कोई विद्यार्थी दसवीं कक्षा तक अपनी स्टेट टीम के लिए खेलता है तो उसे 4% अंक अतिरिक्त दिए जाते हैं।

कोच मोरे ने क्रिकेट को गंभीरता से लेने को कहा

जितेश शर्मा ने बताया कि, हमारे स्कूल के अधिकतर मैच अमरावती के क्लब ग्राउंड पर हुआ करते थे वहां के कोच अमर मोरे ने सुझाव दिया कि मुझे क्रिकेट को गंभीरता से लेना चाहिए। परंतु मैंने उनसे कहा कि, मैं सेना में शामिल होना चाहता हूं, मेरी क्रिकेट में कोई दिलचस्पी नहीं है। तब वह बोले तुम्हें कोशिश करनी चाहिए। जिसके बाद मेरा चयन अंडर-16 ट्रायल के पहले ही साल विदर्भ की टीम में हो गया। जितेश ने खुलासा किया कि, जब वह 11 वीं कक्षा में थे तो उन्होंने सोचा कि मैं नहीं खेलूंगा। परंतु उनके पिता ने सलाह दी कि, फिट रहने के लिए क्रिकेट खेलना जरूरी है।अगर तुम्हें एनडीए की परीक्षा पास करनी है तो उसके लिए भी फिटनेस महत्वपूर्ण है।

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